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________________ नेमिनाहचरिउ [७७८ [७७८] वपु रि धीरिम कट रि सरलत्तु अरि उवसमु हुँहुं वयण- मण-निरोहु निउंछणउं खंतिहिं । वलिकिज्जहुं संनमह तवह तह य तसु ह-कतिहिं । इय पुणु पुणरवि सुर-सहहं दु-वि ति तियस जपंत । सणतुकुमार-महारिसिहि चिट्ठहिं गुण गायंत ॥ [७७९] राय-रिसि वि हु निय-गहीरत्तअवहत्थिय-दुध्दुयहि सयल-रोग निरु सम्म-करणिण । अहियासइ जिणवरिण भणिय-विहिण भावइ य हियइण ॥ एंतु खलिज्जइ जलनिहि वि लहरि-भिन्न-कुलसेलु । म उ पुवज्जिय-असुह-निय-कम्म-विवागह मेलु ॥ [७८०] जिय अयाणुय विहिउ सयमेव तई पच्छिम-जम्मि इहु पावु कम्म-पब्भारु गरुयउ । तिण दुक्कहिं एउ तुह दुसह दुक्ख-दंदोलि वहुयउ ॥ नासंतिहिं वि न छुट्टियइ निय-दुक्कय-कम्माहं । ता वलिकिज्जहुं हउं रिउहुं समइ समुहु पत्ताहं ॥ [७८१] इय पमाइण राग-दोसे हिं मिच्छत्तिण अविरइहिं विहिउ जमिह हय-मोह-पत्थिण । तसु पाव-महदुमह फलई लेसु जिय तुहं स-हत्थिण ॥ नहि लब्भंतइ स-कय-फलि पुरिस परम्मुह हुँति । सह-धाविर निय-छाय नहि केवि हु छ डिवि जंति ॥ ७७८. ५. क. कंतिहि. ७८०. २. क, ख. मि. ३. पाव. ४. टुक्कइ. ७८१. ५. क. सुहे; ख. तुहु. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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