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७६९] तइयभवि चित्तगइवुत्तति सणतुकुमारचरिउ
[७६६] कह व भुय-वल-दलिय-रिउ-कुलह तुह नाह विरहिण भुवणु विविड-खुद्द-विद्दविउ हविहइ । कु व अ-सरणु विलविरह एण्हिं तस्सु उवयारु करिहइ ॥ इय विलवंत परिभमिय सयल ति जा छम्मास ! विगय-त्ताण अणाह परिमिल्लिर-गुरु-नीसास ।
[७६७] राय-रिसिण वि तियस-गिरि-सिहरथिर-चित्तिण सीह-अवलोइएण वि हु ति न निरिक्खिय । तयणंतर निय-नियय- ठाणि पत्त अच्चंत-दुक्खिय ।। राय-रिसी वि हु पुव्व-कय- भोग-हलिय-कम्मति । एगागी उज्जय-हियउ चरणि जणिय-जम्मंति ॥
[७६८]
विहिय-छट्ठह तवह पज्जति गुरु-वयणिण अन्नयरि ठाणि गंतु विहरंतु मह-रिसि । पुवज्जिय-असुह-निय- कम्म-सेस-उदयम्मि असरिसि ।। गोयर-चरियहं परिभमिरु कत्थ वि भवणि लहेइ । छेलिय-तक्किण उल्लियउ वीणाउरु भुंजेइ ॥
[७६९]
तयणु वेयण सीसि तणु-दाहु उक्कोउ पुणु लोयणहं . कुच्छि-सूलु पाउम्मि अरिसय । वच्छ-त्थलि तोडु करि कंपु पाय-मूले सु रप्फय.।। पुट्टि जलोयरु कंधरहं गंड-माल खय-काल । पाउब्भुय सव्वंगि पुणु कुट्ट-व्वाहि कराल ।
७६७. ७. क. कंमंति.
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