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नेमिनाहचरिउ
[७६२
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इय विचिंतिरु मेरु-थिर-चित्तु कुरु-वंसह जस-कलसु आससेण-नरनाह-नंदणु । उज्झेविणु धण-रयण- सयण-सुहड-करि-तुरय-संदणु ॥ वहु-वित्थरिण पहाविउण जिण-वर-तित्थु पवित्तु । उसहदत्त-सूरिहि पुरउ पडिवज्जइ चारि ॥
[७६३] अहह नरवर चरिउ अणुसरिउ तई भरह-नराहिवह वमुह सयल लीलई चइंतिण । आराहिउ जिणवरहं गुरुहुँ वयणु इय उज्जमंतिण ॥ इय उवहिर पय नमिर सणतुकुमार-मुणिस्सु । तियस गंतु वइयरु सयलु साहई तियसिंदस्सु ॥
[७६४] किं तु सज्जण ते जि ति जि दइय ति जि नरवर ते ज्जि मुहि ति ज्जि तणय ति जि निय-सहोयर । ति ज़ि संदण ति ज्जि भड ति जि तुरंग ति जि गंध-सिंधुर ॥ ते जि चउद्दह रयण ति जि जक्खहं सोल सहस्स । पुहि न छड्डहिं निय-पहुहु सणतुकुमार-मुणिस्स ।।
[७६५] अहह सामिय पणय-कारुणिय विलवंतउ भिच्च-यणु सयलु एहु किह किह वि उज्झसि । परिवालसु कित्तिय वि दियह वलिवि एमेव सुज्झसि ॥ पुबि पि हु भरहाहिवह उसह-जिणिंद-सुयस्सु । जायउं केवल-नाण-धणु निय-पय-पालंतस्सु ॥ ७६२. २. क. कुरव सह. ७६४. ६. क. ति जि चउ°
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