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तयणु तक्खणु मणु समुक्खिविदि
छक्खंड-खोणीयलहं
बत्तीस सहसहं गरुय जक्खहं सोलस - सहस - परिसंखहं आण-कराहं । चउसट्ठिय सहसहं सुकुल - विलयहं भत्ति-पराहं ॥
नेमिनाहचरिउ
सुहि-सयणु स-अत्थ-रुइ इय दुहरि भव- गहणि इय चिंतिरु उब्विग्ग मणु
सणतुकुमारु समुल्लवइ
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अ-थिरु जोव्वणु धणु अ-साहीणु
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नवहं निहिहिं चउदहहं रयणहं । मउड-वद्ध-नरवइर्हि अहहं ||
७५४. ३. क. चउदयहं. ७५५. ५. क. वोरु.
[७५६]
ree अहमिह भद्द तुम्हे हिं
नित्थारिउ भवु जत्तिहिं वितहरूव-अहिमाण- घत्थउ । वुडंतु महन्नवहं मझि देवि निय दो-वि हत्थ उ !! तयणु तियस वज्जरहिं मणु चक्क-पहुहु मुणेवि । धन्नु महायस तुहुं जि पर जो एत्तियमेत्ते वि ॥
[७५७] विलिय-कारणि चइवि चक्कित्तु
सलिल - विंदु चंचल सरीरु वि । रमइ किह णु इह पुरिसु धीरुवि ॥ गहिउ कामु चारितु । भव-कंतार- विरत्तु ॥
चारित्त- गहणू सुयउ संकंत य संति तणुनणु कह जाणह तुब्भि इय चक्कवइण पुम्मि | पयडिय - रूविहि सुरिहि सुरपहुवइयरि सिद्धम्मि ||
हुयउ जमिह तुह अज्ज दुज्जय । मज्झि रोग ओसह-अ-सज्झय ॥
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