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________________ - १९० [७५४] तयणु तक्खणु मणु समुक्खिविदि छक्खंड-खोणीयलहं बत्तीस सहसहं गरुय जक्खहं सोलस - सहस - परिसंखहं आण-कराहं । चउसट्ठिय सहसहं सुकुल - विलयहं भत्ति-पराहं ॥ नेमिनाहचरिउ सुहि-सयणु स-अत्थ-रुइ इय दुहरि भव- गहणि इय चिंतिरु उब्विग्ग मणु सणतुकुमारु समुल्लवइ [७५५] अ-थिरु जोव्वणु धणु अ-साहीणु Jain Education International 2010_05 नवहं निहिहिं चउदहहं रयणहं । मउड-वद्ध-नरवइर्हि अहहं || ७५४. ३. क. चउदयहं. ७५५. ५. क. वोरु. [७५६] ree अहमिह भद्द तुम्हे हिं नित्थारिउ भवु जत्तिहिं वितहरूव-अहिमाण- घत्थउ । वुडंतु महन्नवहं मझि देवि निय दो-वि हत्थ उ !! तयणु तियस वज्जरहिं मणु चक्क-पहुहु मुणेवि । धन्नु महायस तुहुं जि पर जो एत्तियमेत्ते वि ॥ [७५७] विलिय-कारणि चइवि चक्कित्तु सलिल - विंदु चंचल सरीरु वि । रमइ किह णु इह पुरिसु धीरुवि ॥ गहिउ कामु चारितु । भव-कंतार- विरत्तु ॥ चारित्त- गहणू सुयउ संकंत य संति तणुनणु कह जाणह तुब्भि इय चक्कवइण पुम्मि | पयडिय - रूविहि सुरिहि सुरपहुवइयरि सिद्धम्मि || हुयउ जमिह तुह अज्ज दुज्जय । मज्झि रोग ओसह-अ-सज्झय ॥ For Private & Personal Use Only [७५४ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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