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७५३ ]
तहयभवि चित्तगइवुत्तति सणतुकुमारचरिउ
[७५० ]
अह सहाविय - कंति - पब्भार
अवहत्थिय-सुर-असुरनिम्माणय कम्म-कयकय-असरिस-सिंगार-विहि परिहिय-देव- दुगुल्लु ।
तारयालि-ससहर - दिवायरु | संधि-बंध- सव्वंग- सुंदरु |
बंदि - विंद- उग्घुट्ठ-जसु
निय परियण-सोहिल्लु ॥
वर - मंडवि उवविसिवि
[७५१] विउल-अत्थाणनिय निउत्त-पुरिसेहिं स-हरिमु । वय ते वि तर्हि एंति असरिसु ॥
सव्व - अवसरि
सद्दावर चक्कवइ
हरिसु वहता नियमणि किं पुण चक्कवइम्मि | सच्चवियम्मि विसेसयर विरइय-सिंगारम्मि ||
[७५२]
ree fafe fafe fव-रसु संसारु
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मिस्सु वि नरवरह संजाय विसम दस इय परिचितिर तियस दु-वि
भणिय नरिंदिण - तुम्हि किह दीसह हय-मुह-राय ॥
एत्तिए वि अंतरि इमेरिस । जणिय-सुयण - सुहिताव - पगरिस || लहु विहलिय-मुह छाय ।
[७५३] तियस - चर्विकद
अह पर्यंपहिं किं न नियहि नियय-तणु तुह मज्जण - कालि सु न न किं एइ भांति इय
नियt निरिक्खर मसि - रसिण ओहलियं पिव ताव ॥
७५२. ६. क. तियस वि. ७.
वियलिय.
जमिह आसि जो कंति- वित्थरु | एहि तयणु सहसत्ति नरवरु ॥ चिंतिरु निय-तणु जाव ।
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