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नेमिनाहचरिउ
[७३०]
तयणु मागह-गंग-वरदामपमुहुत्तिम-तित्थ-जल कुसुम-गंध-ओसहि गहेविणु। जय जय चिरु नर-रयण महियलि त्ति पुणु पुणु भणेविणु ॥ विज्जाहर-नर सुर-गणिहिं मंगलि पयडिज्जति । मग्गण सयण-किमिच्छियहं इच्छिइ वियरिज्जति ॥
[७३१]
पडह-मद्दल-तिलिम-ढक्काहिं कंसालय-ताल-वर वंस-वेणि-काहलिय-बुक्कहिं । वज्जतिहिं पडु-रविण करडि-भंभ-भेरिय-हुडुक्कहि ॥ नहारंभि पयट्टियहि तहिं आगंतु खणेण । रंभ-तिलोत्तिम-उव्वसिहि सुर-सामिहि वयणेण ॥
[७३२] अइ-महंतिण विहव-जोएण चक्काहिव-रज्ज-अहिसेय-महिम वेसमणु विरइवि । उक्साहइ सुरवइहि पुरउ पुव्व-वुत्तंतु सयलु वि ।। सणतुकुमार वि नर-रयणु पाविय-चक्कवइत्त । उब जइ छक्खंड महि असम-सुहामय-सित्तु ।
[७३३] __ अवर-वासरि स-परिवारस्सु सोयामिणि-नाडयह रंग-मज्झि सहरिसुवविहह । कय-भूसण-सयल-तणु तियसु एगु ईसाण-कप्पह ॥ नियय-पहा-पसरुवहसिय- सेस-तियस-तणु-कति । कज्ज-वसिण संपत्तु सुर- सामिहि सविहम्मि त्ति ।।
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