SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 198
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७३७ ] तइयभवि चित्तगइवुत्तंति सणतुकुमारचरिउ [७३४] अह सुरिदिण विहिय-सक्कारु परिसाहिय-कज्ज-विहि नियय-ठाणि सो तियसु पत्तउ । स-वियक्कु सोहम्मिइहि सुरिहि तयणु तियसिंदु वुत्तउ ॥ जह पहु एइण सुरवरिण पसरिय-तेय-भराई । निय-तणु कंतिण पह हरिय सव्वेसि पि सुराहं ॥ [७३५] तयणु पभणिउ तियस-नाहेण नणु एइण पुव्व-भवि विउल-भाव-सुद्धिण पवित्तिण । संचिण्णु आयंविलय- वद्धमाणु तवु एग-चित्तिण ॥ इय तव-तेइण तेण इहु असरिस-कंति-कलावु । हुयउ तियमु ईसाण- सुर-पहु-सम-सिरि-सब्भावु ॥ [७३६] पुण वि पण मिवि भणिउ तियसेहि पहु पसिय कहेसु नणु भुवण-मज्झि किं कसु वि अन्नह । एयारिस-तेय-सिरि अस्थि एत्थ चिर-चिन्न-पुन्नह ।। ईसि हसेविणु सुर-वइण तयणु भणिउ – नणु हंत । एयह पुण्णइं काईक व तेय-स्सिरि विलसंत ॥ [७३७] का व अवरह ति-जय-रंगम्मि .... विलसंतह खयर-सुर- असुर-पहुहु सयलह वि मिलियह । पुवज्जिय-तव-सिरि व देह-पह व जा मणुय-मित्तह ॥ आससेण-कुल-कमल-सर- मंडण-कलहंसस्सु । सणतुकुमार-नराहिवह ससहर-विमल-जसस्सु ॥ ७३६. ६. क. चित्त. ८. क. कांई. ७३७. ७. संडसा. ९. क. ससह. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy