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________________ १८२ नेमिनाहचरिउ । [७२२ [७२२] सुइर-संचिय-सुकय-जोगेण इयरो वि भरहाहिवइ- उचिउ विहउ अइरिण समज्जिवि । संपत्तउ निय-नयरि कित्ति-दइय दह-दिहि विसज्जिवि ।। एत्थंतरि सोहम्मिइण सुर-राइण साणंदु । दिठु तहाविह-सिरि-सुहउ सणतुकुमारु नरिंदु ॥ [७२३] तयणु सायरु भणिउ वेसमणु मह वयणिण भद्द लहु पुरउ गंतु सहदेवि-तणयह । चक्किस्सु चउत्थयह सोल-सहस-वर-जक्ख-पणयह ॥ सणतुकुमारह पहु मह कोसल्लिउ वियरेज्ज । तह तुहुं तमु चक्काहिवइ- रज्जहिसेउ करेज्ज ॥ [७२४] ता कयत्थउ अप्पु मन्नंतु आयसिण निय-पहुहु तुरिउ तुरिउ सहरिसु नमिप्पिणु । सीहासण-छत्त-वर- मउड-हार-रयणाई घेप्पिणु ॥ कुंडल-चामर-पाउयहं जुयलई तह वर-माल । पायवीढ-रयणिण सहिय विलसिर-सिरिहि वम्बाल ॥ [७२५] गंतु गयउर-नयरि कुरु-वंसजस-कलसह पय-पुरउ विणय-नमिरु वेसमणु जंपइ । सोहम्मिय-सुर-वरिण पेसिउ म्हि तुह पुरउ संपइ । तह कोसल्लिउ दिव्वु एहु पेसिउ तुम्हहं जोर । काराविउ पुणु चक्कवइ- रज्जहिसेउ उदग्गु ॥ ५२१. ७. वणमाल, ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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