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________________ १८१ ७२१] तइयभवि चित्तगइवुत्तंति सणतुकुमारचरिउ [७१८] इय-विचिंतिरु गरुय-चडयरिण कारेवि बद्धावणउं निय-पुरम्मि सयलम्मि निवइण । निय-रज्जि निवेसिउण कुमर-रयणु पसरंत-रिद्धिण । अणुजाणाविवि सुहि-सयण गुरुयण-भत्ति करेवि । चारय-बंध विमोइउण जिणवर सक्कारेवि ।। [७१९] कसु वि तारिस-गुरुहु पय-मूलि वहु-नरवइ-सुय-सहिउ स-दइओ वि विस्संभराहिवु । निसुणेविणु धम्म-कह हियइ धरिवि जिण-वयणु कय-सिवु ।। संसारिय-मुह-विरय-मणु पडिवज्जिवि चारित्तु । आससेणु सो राय-रिसि सु-गइहिं गयउ पवित्तु । [७२० काल-जोगिण पुण सउण्णेहिं भरहेसर-चक्कवइ- विहिण सुहिण छक्खंड-वसुमइ उत्साहिय अणुकमिण परिस-सहस-कालम्मि अइगइ ॥ वहुविह-समर वसुंधरहं पसरिय-कित्ति-लएण । सणतुकुमारिण स-भुय-बल- पाविय-अब्भुदएण ॥ [७२१] अह सुनंदा-नाम-थी-रयणपमुहाण जयभहिय- पिययमाण चउसटि-सहसहं । अच्चम्भुय-भुय-वलहं नरवईण वत्तीस-सहसह ॥ सिंधुर-तुरय-रहाहं पिहु पिहु चउरासी लक्ख । नव निहि चउदह रयण मण-इच्छिय-वियरण-दक्ख ॥ ५२१. ६. क. सहसह. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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