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नेमिनाहचरिउ
[७१४]
सूर-नरवइ-तणय-चयणेण निमुणेविणु जह जणय- जणणि-सयण चिटुंति दुक्खिण । आऊरिय-गयण-यलु विविह-खयर-खोणिंद-लक्खिण ।। निय-माहप्पु समग्गह वि जयह मज्झि पयतु । सणतुकुमारु कुमार-वरु हथिणाग-पुरि पत्तु ॥
[७१५]
तयणु स-हरिसु जणणि-जणयाहं अहिणंदइ पय-कमल कुणइ गरुय-पडिवत्ति सयणहं। संभूसइ पणइ-यण जणइ तोसु जय-जंतु-वयणहं । सविह-निवेसिय-सूर-सुय- वयणिण निय-वुत्तंतु । जणणी-जणयाइय-जणहं कहइ साइ-पज्जंतु ॥
[७१६]
अह निहित्तु व अमय-कुंडम्मि संपाविय-सुरतरु व गिह-पस्य-वर-कामधेणु व। उवलद्ध-चिंतामणि व चक्कवहि-रज्जाहिसित्तु व ॥ आससेण-वसुहाहिवइ निय-सुहि-सयण-समेउ । चिंतइ पसरिय-हरिस-भरु विलसिर-गरुय-विवेउ ।।
अच्चम
[७१७] अहह धीरिहिं सुकुल-उप्पत्ति
जीवियव्वु उवसग्ग-वज्जिउ । पंडिच्चु जयब्भहिउ विउल-भोग-धणु स-भुय-अज्जिउ ॥ रज्जु जयस्स चमक्क-यरु कित्ति परक्कम-सार । लब्भइ धम्म-वसिण भुवणि विलसिर-गुरु-वित्थार ।। ७१६. १. कुमंमि; ३. क. ख. सुरुतरु.
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