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________________ नेमिनाहचरिउ [७०६] भमिवि चउ-गइ-भव-अरण्णम्मि वहु-भेय-परिप्फुरिय- जम्म-मरण-सहसिहि कयस्थिउ । विलवंतउ पर-वसिउ दास-पेस-अधणत्त-दुत्थिउ ॥ तारिस-निय-कम्मह वसिण अभिहाणिण असियक्खु । हुउ वेयड्ढ-महागिरिहिं एरावण-जिउ जक्खु ॥ [७०७] इय समासिण कहिवि वुत्तंतु तुह संतिउ मुणि-वसहु अच्चिमालि अन्नत्थ विहरिउ । तुह अंतर-वास-कइ भाणुवेगु पुणु गहिवि कुमरिउ । मह वयणिण माणस-सरह सविह-देसि गंतूण । ठिउ पिय-संगम-नामु पुरु सुर-पुर-समु रइऊण ॥ [७०८] तयणु तइयहं तह तुमं तेण परिणाविउ अट्ट निय- दुहिय किं तु तुह पाय-जुयलह । पत्याविण सेव हउं करिसु धरिवि इहु मज्झि हिययह ॥ तई मिल्लेविणु एक्कलउ भाणुवेगु निय-ठाणि । गउ ता पहु मरिसिज्ज तुहूं इहि अवराह-पयाणि ॥ [७०९] चंडवेगिण भणिवि इय कुमरु परिणाविउ वित्थरिण कन्नयाहं तह सउ अणूणउं । ता भुंजइ विसय-मुह गरुय-खयर-रज्जिण सम्वाणउं ॥ चंडवेग-खयरिंदु पुणु स-कुडुंब वि निय-रिद्धि । सणतुकुमारह देइ लहु सारय-ससि-सम-बुद्धि ॥ . ७०६. ४. परिवसिउ. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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