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नेमिनाहचरिउ
[६६६
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तमु विसप्पिर-कुल-पसूयाई सरइंदु-उज्जल-जसहं कुंद-कलिय-सम-दंत-पंतिहिं । वियसंत-मुह-पंकयहं उत्तसंत-सिसु-हरिण-नेत्तिहिं ।। अंतेउरियहं रइ-समहं चिट्टइं पंच सयाई । ताहि य सह मुंजंतु निवु चिट्ठइ विसय-सुहाई ॥
[६६७]
तहिं वि धण-कण-रयण-कलहोयसमुवहसिय वेसमण- विहवु नयर-नर-पवर-वुद्धिउ । ससि-निम्मल-नियय-गुण- वसुबलद्ध-जस-कित्ति-रिद्धिउ ॥ निरुवम-रूवु थिर-प्पगइ इगु सत्थाहह पुत्तु । आसि पसिद्धउधरणियलि नामिण नागदत्तु ॥
[६६८]
तसु वसुंधर-पवर-सिंगार असवण्ण-लायण्ण-निहि महिय-देव-गुरु-पाय-पंकय । नव-जोव्वण तरुण-मण- रयण-हरण-विहि-विगय-संकय ॥ मिउ-भासिर थिर-चंकमिर गुरु-गुण-रयण-समिद्ध । हियय-प्पिय पिय आसि जगि विण्हुसिरि त्ति पसिद्ध ।
इयर-वासरि रायवाडियह गच्छंतउ धरणिवइ विहिय-चारु-सिंगारु मग्गिण । अवलोयइ विण्हुसिरि विजिय-तियस-सुंदरि निसग्गिण । अह तसणि तक्खणिण पसरिय-गुरु-कंदप्पु । विहुरिय-अंगोवंगु परिचिंतइ विविह-वियप्पु ॥ ६६६. ७. विटूर्हि
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