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________________ १६० वीरंतु व तक्खणिण [६३४] अह विइज्जह कुमर घायस्सु ता नहयर-सवह तमु अत्थ- सिहरि - सिहरह परइ e-for कुमरु वि तसु पियह नेमिनाहचरिउ Jain Education International 2010_05 [६३५ ] निसिय-ससहर - किरण-सर-भरिण कर- कलिय कराल-तणु नहर-वह- वइयरिण रणि- समागमि तह कह वि परिसल्लिउ सव्वंगु । असुहिण सुहिण व घत्थियउं जह न मुणइ निय-अंगु ॥ लीलाए बि एहु पुणु हुं हुं अस्थि उवाउ मई जइ जीवंतु स नयणु लिहिं ता एयह मयणह रिउहु खयर - अहम - जिउ नट्ठु वेगेण । ary अ-नियमाणिण व तरणिण ॥ गंतु विहिउ आवासु । सुमरंतर संभासु ॥ ढोल्लव को वि खणु ता ससि-मुहि संभमिण उवि समुह हरिस-भरपुच्छर पच्छिम कह मुइर ६३७. ९. क. ख. वाहु. [६३६ ] नणु हयासु सु सत्तु निद्दलिउ कुमुय - कंति - कोदंड - लट्ठिण | तविय - मणिण इव मयण घट्टिण ॥ किह णु भुवण-दुज्जउ जियव्वर । जिणणि रिउहु एयह विलद्धउ ॥ हरिण नयणि पेक्खे | तुरिउ जलंजलि देसु ॥ [६३७] इय विचितिरु कुमरु अडईए गयउ कह वि धवलहरि तम्मि वि । उत्तरी संवरिवि विहसिवि ॥ खलिरक्खर - वयणेहिं । वाह-सलिल नयणेहिं || For Private & Personal Use Only [ ६३४ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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