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वीरंतु व तक्खणिण
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अह विइज्जह कुमर घायस्सु
ता नहयर-सवह तमु अत्थ- सिहरि - सिहरह परइ e-for कुमरु वि तसु पियह
नेमिनाहचरिउ
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निसिय-ससहर - किरण-सर-भरिण
कर- कलिय कराल-तणु नहर-वह- वइयरिण रणि- समागमि तह कह वि परिसल्लिउ सव्वंगु । असुहिण सुहिण व घत्थियउं जह न मुणइ निय-अंगु ॥
लीलाए बि एहु पुणु हुं हुं अस्थि उवाउ मई जइ जीवंतु स नयणु लिहिं ता एयह मयणह रिउहु
खयर - अहम - जिउ नट्ठु वेगेण । ary अ-नियमाणिण व तरणिण ॥ गंतु विहिउ आवासु । सुमरंतर संभासु ॥
ढोल्लव को वि खणु ता ससि-मुहि संभमिण उवि समुह हरिस-भरपुच्छर पच्छिम कह मुइर
६३७. ९. क. ख. वाहु.
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नणु हयासु सु सत्तु निद्दलिउ
कुमुय - कंति - कोदंड - लट्ठिण |
तविय - मणिण इव मयण घट्टिण ॥
किह णु भुवण-दुज्जउ जियव्वर । जिणणि रिउहु एयह विलद्धउ ॥ हरिण नयणि पेक्खे | तुरिउ जलंजलि देसु ॥
[६३७]
इय विचितिरु कुमरु अडईए
गयउ कह वि धवलहरि तम्मि वि । उत्तरी संवरिवि विहसिवि ॥ खलिरक्खर - वयणेहिं । वाह-सलिल नयणेहिं ||
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