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________________ १४४ नेमिनाहचरिउ | [५७०] ता किमित्त वि तुरउ जाहि ति आस सेण-कुल- गयण-चंदिण | चितेवि विमुक्कु सिरिअह दीहर- सास-भर aणु धिसिधिसि मई एहु तुरउ विवरिय - सिक्खु न नाउ । इय चिंतंतु कुमार-वरु पयडिय - गरुय-विसाउ ॥ हय-रयणु करेइ लहु वहु-सास-स्सम- हयउ अह वहुयर- दुह-त विय-तणु तण्हा-छुहहिं किलंतु कह जा स-हत्थिण Jain Education International 2010_05 [५७१] सिढिल पचादु ता भमेव महि-यलि तुरंगमु । पडिवि हुयउ जम-भवण-संगम् ॥ आससेण- निव- जाउ । कहमवि फुरिय-विसाउ ॥ सत्तच्छय- पायवह अनिरिक्खिय- पुव्व-रवितइयहं मुच्छ - विलंबलिउ अह तक्खणिण वि पेक्खिरण भरिउ तहिं जिसो ठिउ खणद्धिण ॥ [५७२] पत्तु पत्तल - साह - सहसस्सु अज्जउत्त- पुण्णोवचयकेण वि माणस - सरवरह तल - पएस जा ता खणदिण । ताव- दुक्खु देव्वह निओइण । निवडउ निस्साहरु । तारिस सणतुकुमारु || [५७३] -समहिय रूव-विहवेण भुवण-स पसरंत - जोव्वण- भरिण उचिय-ण्णु-चूडामणिण अमय-महुर- मिउ-वयण - चंगिण ॥ विहिय- चारु- सिंगार - अंगिण । आयढिइण नरेण । जल आणिवि स-करेण ॥ | ५७० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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