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तइयभवि चित्तगइबुत्तंति संणतुकुमारचरिउ
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भणइ—पसियह मज्झ तुम्भे वि निय-वइयर-पयडणिण तुरय-रयण-अवहार-पमुहिण । ता कुमरु अ-सत्तु तमु कहिउ नियय-वुत्तंतु स-महिण ॥ स-दइय विज्जा-वल-मुणिय- तत्त-विसेस-समिद्ध । अणुजाणइ पत्थुय-विसइ विमलमइ त्ति पसिद्ध ॥
[५६७
गुरु-परिस्सम-कसिण निदाए घुम्मति मह लोयण वीसमेमि ता इह वि कु वि खणु । इय जंपिवि उहिउण मोत्तु तत्थ सयलो वि परियणु ॥ मज्झि गंतु कयली-हरह पुत्व-विहिय-सयणम्मि । निसियइ कुमरु स-वइयरह सवणि निविहि मणम्मि ॥
[५६८]
तयणु निम्मल-दसण-किरणोलिपरिधवलिय-सयल-दिसि चंद-वयण विमलमइ जंपइ । जह-निसुणसु कुमर तुहुँ नियय-मित्त-वुत्तंतु संपइ ॥ किल तइयहं तुम्हह पुरउ तिण तुरंग-रयणेण । अज्ज-उत्तु इहु अवहरिवि परिखेवियउ खणेण ॥
तसिय-मय-कुलि भीय-सलि परितुटिर-गिरि-सिहरि भमिर-तुरइ नासंत-कुंजरि । विलवंत-पुलिंद-यणि गलिय-विहव-निवडंत-तरुवरि । फुटिर-वंस-सहस्सि हय- कायर-जण-चेयणि । जलिर-दवानलि जम-भवण- सरिसइ गरुय-अरण्णि ॥ ५६९. ८. दावातलि,
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