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नेमिनाहचरिउ।
[५६२] ___ अह विणिच्छिवि - नूण सो चेव इहु अम्ह कुल-कप्प-तरु आससेण-नरनाह-नंदणु । आगंतु वि तमु पयई नमई सूर-निव-भवण-मंडणु ॥ अह लहु उठिवि सम्मुहिण आलिंगिउ सव्वंगु । सणतुकुमारिण सूर-सुउ हरिस-विराइय-अंगु ।।
तयणु महरिह-आसणुवविह अन्नोन्न-वियसिय-वयण जणिय-पणय-आणंद-कंदल । विम्हारिय-पुष-दुह नियय-सयल-मुहि-सयण-वच्छल ॥ पढमय-मेलावग-उचिय- कय-पडिवत्ति-विहाण । चिट्ठहिं एगत्थ वि ति दुवि खणु सुगहिय-अभिहाण ॥
[५६४] एत्थ-अंतरि विहिय-सक्कारु स-वयंमु नहयर-धुयहिं निय-पियाहिं कारेवि भोयणु । चिर-दंसण-उल्लसिय- वाह-सलिल-संपुण्ण-लोयणु ॥ सणतुकुमारु भणइ-कहसु कह तुहूं अखलिय-सत्तु । वाहु-विइज्जु महाड विर्हि इह वयंस संपत्तु ।
[५६५]
कह वि चिट्ठहिं मह विओयम्मि दढ-नेह जणणी-जणय तह ति मंति-सामंत-सज्जण । मह निमुणिवि अपहरणु कह व पिउहु वटुंति दुज्जण ।। अह कर-संपुड सिरि धरिवि सूर-नराहिव-पुत्तु । साहिवि नीसेसु वि खणिण निय-वइयरु पुव्वुत्तु ॥ ५६२ ८. क. सणतुमारिण.
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