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५६१ ]
atara चित्तवृत्तंति सणतुकुमारचरिउ
[५५८]
मज्झि संठिउ गरुय-संतोसु
विज्जाहर-बंदियणगोसीस चंद्रण-रसिण कुंडल-लिहिय - कवोल थलु वर-मउडालंकारु । हार - विराइय- वच्छ- यलु कय-निरुवम- सिंगारु ॥
कयली-हर- अंतरिउ कय-गीउग्गार-वर
[५५९]
मयण-भवणह दार- देसम्मि
पढिय- कित्ति सव्वंग - सुंदरु |
जणि दुगुण- तणु-कंति- वित्थरु ||
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अइर-पया सिय- पुण्व-भव - संचिय - सुह - पब्भारु । पणय- लोय-आणंद-यरु पेच्छइ सणतुकुमारु ॥
कणय- रयण - आसणुवविद्यउ । पेच्छणीय दंसणि पट्टिउ ||
जाय ति चिंतिरु सणिउ
चिद्वंतु छायहं तरुहु पिसुण-मरट्ट घर कउरव-वंसुज्जोय गरु
[५६० ]
तसु कहेरिस रिद्धि अइरेण
निरु
सणिउ गहिवि पच्छिम वसुंधर । सुणइ पढिर मग्गण फुडक्खर ॥ नमिर - गुरुय - सिरि-हेउ । आससेण-कुल- केउ ॥
[५६१] समर-निज्जिय-सयल- खयरिंदु
विज्जाहर- चक्कवइ असिधारहं वीसमिरनहर का मिणि - थण - सिहर- संगम-जणियाणंदु | जयउ जयउ भुवणन्भहिउ सणतुकुमारु नरिंदु ॥
५५८. ६. क. लिहिउ, ख. हिय.
५६०. ४. क. छायह. ५६१. ४. वासमिरु. ५. क. रमणि
नियय-तेय - अहरिय-दिवायरु |
सत्तु- सेणि गुण रयण सायरु ॥
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