SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५२१ ] तइयभवि चित्तगइवुत्तंति संणतुकुमारचरिउ [५१८] इय भणेविणु ताल-रव- पुव्वु पहसंतिहि तिहि दुहि वि त्रियसंत वयणं बुरुहु इह उत्तमिव गोरडी आलिंगिवि सिरि चुंविउण [५१९] सुयणु पच्छिम दियहि कुसुमोह हरियंदण - रसिण त महुरक्खर - रविण मह तिण हउं पीय- सुहा रसु व हुयउ हरिस- पुलयेकुरिउ चारु चारु इय जंपमाणिहिं । पत्तु सविहि तसु हरिण - नयणिहि ॥ ठीय अहोमुह जाव | भणिय कुमारिण ताव || महि अंगु तह सुद्ध-बुद्धिण । पुरउ पढिय थुइ भाव - सुद्धिण || पत्त- परम उदउ व्व । कप्पहुम-पोउ व्व ॥ [५२०] पुणु किह णु ससि वयणि कुणसि न मह संमाणु माणिणि । निसिय नयण कलहंस-गामिणि ॥ खंधि निवेसिवि मुद्ध | अज्जु तुहुं पसिऊण संभासिण वि जं चिसि महिं ता दाहिण - भुय-लय सुहय जंपर - हुं हुं मई मुणिउ तुह नेहु सुहासिय सुद्ध ॥ Jain Education International 2010_05 [५२१] तुह विओएण सुहय हउं थक्क विरहाणल-तविय-तणु तु गोयरि अण्णयर अह भीडिवि वच्छ-त्थलिण वंधिवि भुय-पासेर्हि | भइ स-सज्झसु कुमरु ससि-मुहि वयणिहिं सरसेहिं ॥ ५१८. ४. क. वरुहु. जीवियंत-संपत्त- दुह-भर | रमहिं रमणि सय-सहस सुंदर ॥ For Private & Personal Use Only १३९ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy