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________________ १३० ने मिनाहचरि [५१४] fat णु पिय-सहि चइवि धीरतु एम् वि तुहुं चिहिहिसि जह दंसहुँ करि घरिवि अह किं-चिवि तक्कह-सवण- पच्चागयचेयन्न | संपत्तिय उज्जाण - वणि अवलोइवि सयलु वणु सविसेस-समुल्लसियगंतु मज्झ कलिय-हरह भइ य कमवि मह पुरउ किं न कुणसिकेत्तिउ वि उज्जमु । विसम-वाणु तुह सो ज्जि निरुवम् ॥ [५१५] ता निरिक्खिवि मयण - आययणु सहि करेविणु आगच्छसु मद्द पुरउ तह चेत्र य कयइ मई इय जइ कहमवि सुवि सुहउ ता अप्परं सु-कयत्थु हउं साइह मई स कन्न ॥ Jain Education International 2010_05 सु ज्जि मयणु अनियंत वालिय । विरह - जलिर - हुयवह-करालिय ॥ निवडिय नीसाहार । खलिरक्खर - पन्भार ॥ [५१६] वेसु मयणस्सु जेण ललहुं तेण वि विणोइण । मिलिउ तुहुं विइह विहि- निओइण || एइ एत्थ पत्थावि । मन्नहुँ अकयत्था वि ॥ [५१७] एत्थ - अंतरि मयण-आययणि अ-लहंतउ रइ कुमरु अह विहिय-मण- पसरु परिभमंतु तत्थ वि पहुत्तउ । सुणिवि ताहं दोन्हं पिवत्तउ || न मह नेवस्थिण वि तुहुं इह वि अच्छु पसयच्छ । तुह छम्मिण जिण गंतु तर्हि पेच्छउं हउं जि मयच्छि ॥ ५१४. ७. क. सेयन्न. ५१६. २. क. सयल. ५१७. १. क. आयणिण, For Private & Personal Use Only [ ५१४ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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