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________________ १२८ नेमिनाहचरिउ । [५०६ [५०६] इय ठवेविणु कुमरु कंदप्पभवणाजिरि कह-कह-वि कुमर-दिण्ण-आएसु तस्सुहि । अन्नेसणि तरुणियह चलिउ जाव ता नियइ ससि-मुहि ॥ सहि तीए च्चिय गोरियह विहिय-पुरिस-नेवच्छ । गच्छतिय लइयंतरहं समुहु वियासिय-अच्छ ॥ [५०७] अह महिंदस्सीह-कुमरेण वोल्लाविय सा - सुयणु कहसु मज्झ को एहु वइयरु । जं दीसइ पई विहिउ पुरिस-वेसु क्यणह अगोयरु ॥ तयणु हसेविणु गोरडी भणइ सविहि आगंतु । निसुणसु सु-पुरिस अवहियउ होउण मह वुत्तंतु ॥ तहा हि-~ [५०८] दियहि पच्छिमि इह वि उज्जाणि संपत्तिय मज्झ सहि आसि मयण-पूयणह कज्जिण । ता अहरिय-विसमसर- तियस-इंद-गोविंदु रुविण ॥ दिहउ को-विहु मह सहिहिं मयण-ब्भवण-दुवारि । भुवण-सिरोमणि नर-रयणु विहिय-अवहि-सिंगारि ॥ . [५०९] तयणु अवगय-हियय-भावाण स-सहीण वयणिण मयण- विन्भमेण तसु पूय विरइय । तह स-करिहिं चंदणिण अंगुवंग सयलि वि विलेविय ॥ मुद्धहि मज्झ वयंसियहि अह तत्तणु-फरिसेण । अइ-कोमलिण सु-दुल्लहिण नडिउ अंगु अइरेण ॥ ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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