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________________ १२७ ५०५] तइयभवि चित्तगइवुत्तंति सणतुकुमारचरिउ [५०२] अह सु मित्तिण भणिउ - नणु नाह तहि चेवुज्जाण-वणि चलह कह-वि विहि वसिण जइ पुणु । सा पत्तिय हवइ निय- ख्व-विजिय-जय-तरुणि वर-तणु॥ ता पच्चूसि समुट्ठिउण मित्त-मेत्त-परिवारु । तरुणी-यण-दसण-तिसिउ गउ उज्जाणि कुमार ॥ [५०३] तयणु - मयणह भवणु एहु तं जि सा चेव एह रयण-धर सु जि असोउ एहु महु सहोयरु । मलयाणिलु एहु सु जि आसि सविहि ससि-मुहिहि सुंदरु ॥ संपइ पुणु तमु वालियह दुसहइ हुयइ विओइ । पलयाणिलु वि विसेसवइ वंधव जोइ-न जोइ ।। [५०४] इय विसप्पिर-दीह-नीसासु परिविलसिर विरह-दुहु कुमरु करुणु विलवंतु मित्तिण । निय-अंग-परिप्फुरण- कहिय-कज्ज-सिद्धिण पसंतिण ॥ भणिउ - विसरसि नाह किह तुहुं पागय-पुरिसु व्य । जसु कज्जिण हउं उज्जमहुँ सयल-रयणि-दिवसु व्व ॥ [५०५] ता पयच्छसु मज्झ आएसु पायालह महि-यलह नह-यलह व लीलई गहेविणु । निय-नायग-गाढ-गुण- गहिय-हियय अग्गइ करेविण ॥ सा लहु निय-पहु मण-रयण- तक्करि उवदंसेमि । अन्नह मज्झि वसुंधरह निय-नामु वि न बहेमि ॥ ५०३. ३ क. यसोउ. ५०५. ८. क. वसुंधरहं. ____Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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