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नेमिनाहचरिउ ।
[४९८ [४९८]
अह महिंदस्सीह-वयणेण तणु-मेत्तिण काणणह कुमरु कह-वि निय-भवणि पत्तउ । नीसेसु वि भुवणयल- वत्थु-सत्थु तिण-समु मुणंतउ ।। कहमवि विहिय-सरीर-ठिइ वारिय-इयर-पवेसु । चिइ निरु सुमरंतु तमु तरुणिहि ललिउ असेसु ॥
अवि य
[४९९] स जि चंचल-कमल-दल-नयणि सा सिंधुर-सम-गमणि स ज्जि महुर-कलहंस-भासिणि । सा पुण्ण-ससहर-वयणि स ज्जि असम-विब्भम-पयासिणि ॥ सुमरिवि सुमरिवि विसमसर- आउरु खणु एगेगु ॥ तसु मणु मुज्झइ विम्हियइ तूसइ विगय-विवेगु ॥
[५००]*
तयणु निसुणिय-कुमर-वुत्तंतु चत्तेयर-कज्ज-विहि पत्तु तत्थ तम्मित्तु तक्खणि । जंपेइ य-पहु पसिय कहसु हेउ स-सरीर-कारणि ।। अह दीहुण्हुस्सास-बस- सोसिय-अहर-दलिल्लु । कुमरु भणइ - नणु पयड तुह मह वइयरु पुबिल्लु ॥
[५०१]
इय मयच्छिहि तीए कह-सवणउक्कंठिउ मज्झ मणु महइ सविह-विहि सवण-जुयलह । मित्तत्तणु लोयणहं दठुकामु सिरि तीए रूवह ॥ अग्गग्गइ धावइ तुरिउ तस्संगम-जणियासु । वारिज्जंतु वि न विरमइ इहु हियडुलउं हयासु ॥ ५००. १. क. व. ५०१. ९. इहु लहुलउं.
* As the end portion of the palm leaf is lost, lines 500, 1-2, 503. 3-5; 504. 7 are partiy or wholly missnig in क.
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