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________________ ४९७ ] तइयर्भावि चित्तगइवुत्तंति सणतुकुमारचरिउ [४९४] वाढ - संजमिय अह कुमारह माया- काय वि निय मित्तह वयणिण वि फुरिय- अहरु वियसिय-वयणु दसण-किरण-धवलिय-भुवणु लडहु पयट्टउ हासु ॥ [४९५ ] तयणु कुमरि विनणु किमेयं ति चिंतंत गुरु- सज्झसिण जा चि कंचि खणु ता उद्धीकय-करयलिण पढिउ कुमारह पुरउ पहु तरुणि रयण-कय-पाणि- फरिसिण | चहल- पुलय- संजणिय-हरिसिण || पयडिय - नयण- -वियासु । संता निरसहिं करिहिं रोमंथ-मंथर- मुहिहिं तावुवसम कइ पिय-वयण - दु-वि सेवर्हि तह पहिय तरु [४९६]* कोल संपइ सरहिं पल्ललहं कंपमाण-कर- अहर-चरणिय । दुगुण-सोह - विलसंत - वयणिय || वंदिण अवसर -पत्तु । निसुणउ अविचल-चित्तु ॥ जूह नियय-कर-सीयरोहिहिं । आलवालि ठिउ हरिण -जूहिहिं ॥ चंदणु सरसु भुयंग | छाय लिंति तवियंग ॥ [ ४९७] अह मुणेविणु मत्थयारूदु Jain Education International 2010_05 दि इंदु सही - यणिण सहिय कुमरि निय- देह-मेत्तिण । कहकहमवि निय घरह समुह चलिय सुन्नेण चित्तिण || कुमरुविकर- उत्तिण - चिर- पात्रिय- रज्ज - सिरिव्व । ठिउ निच्चल-मण-तणु-वयणु खणु तत्थ वि सिहरिव्व ॥ * As the end portion of the palm leaf is lost, 196-8-9 to 498 4. is missing in क. For Private & Personal Use Only १२५ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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