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________________ ४८१ ] तइयभवि चित्तगइवुत्तंति सणतुकुमारचरिउ [४७८ ] मयण-नरवइ - रज्ज-अभिसेउ साहंति व तिहुयहं कलयंठिय चुय-तरुहुं सिसिरु हयासु सु उहु गयउ कवलिउ महु-दियहेहिं । वियसिय- कुमुय - मुहेहिं ॥ इय कुमुइणि-तरुणि हसहिं [४७९] वउल-तरुवर-नियर घुम्मंति वहु- पीय-सीयासव व मज्झमि अ-माइय मिउ-पवणाहय - उल्लसिय- किसलय-करहिणएण | लासु पयासहिं तरु-लइय भमराव - गीएण ॥ महुर-रविहिं तरु - सिहर-संठिय | मंजरीण कवलणि पहट्टिय ॥ जहिं सु-सिद्धि पत्तल सरस गोसीस - सिरिखंड- तरुइय एरिसर वसंत महि हरिसु जणंतर महिलह [४८० ] भुवह हियय-संतोसु भुयग-संग-संपत्त- कित्तिय । लक्ष्य वार- विलय व विचित्तिय ॥ पसरिय वणराइम्मि । आससेण निवइम्मि ॥ निय - सार - परियण - सहिय दु-विस- हरिस कुमर वर खण- मित्तेण य मण-पवणपत्त स-नयरुज्जाण - वणि अंव तंव-पह पुणु विरायहिं । वहि फुरंतु नं राउ दावहिं ॥ [४८१] रहय असरिस - अंग- सिंगार Jain Education International 2010_05 विहिय-सयल - सुहि-सयण- सुह । चलिये नयर उज्जाण-संमुह || रइहिं तुरय-रयणेहिं । पढिरहिं वंदि - यणेहिं ॥ भोहु. ७. क. दियदेहिं. ४७८. ३. क. रविहि. ६. क. ४७९. ३. क. पहु. ७. क. हिएण. ४८० ५. क. ख. वि. १६ For Private & Personal Use Only १२१ www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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