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नेमिनाहचरिउ
[४७४]
तस्सु पुण सह-काल- संजाउ
सह-पंसुक्की लियउ सह-संचिय-कित्ति भरु
सम- सुह- दुहु सम-रूव- सिरि सम-जोव्वणु सम-सीलु । सम-हि-सज्जण विहिय - मुहु सम- परिसीलिय-लीलु ॥
सह-गद्दीय-गुण- रयण-मंडणू । समग-विद्दिय-पडिवक्ख-खंडण ||
[४७५ ]
मूल-नरवइ-पय-समुद्धरण
कालिदिय-देविहि तणउ जणिय-सुयण - आनंद-सुंदरु | सिसु भावि वि बुड्ढ समु पुत्र-पुरिस-आयरिण-मणहरु || वाल-वयं अहेसि पर- कामिणि-रमण-निरीहु । अवितह- रुविण नामिण वि पयड महिंदस्सीहु ॥
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[४७६ ]
विलसिर- वहल - लायण्ण
तयणु संपुण्ण- जोव्वण- भरिण संतो सिय- सुहि-सयण पोढ नियंविणि-माण- गुरु
फुरिय गरुय - पडिवक्ख-खंडण । दढ - पण दुज्जण - विहंडण ॥ तरुवर-दलण - कुढार ।
विलसहिं महिहिं महा-महिण दु-बि ति नरिंदकुमार ॥
तह ललंत
संपत्तु वसंत- महु निरु - विहरिय- विरहिएहिं मलयानिल-संगमि भमर देसंतर-गमणुम्मणहं
[४७७] काल -
द- जोगेणं
जहिं स-तोसु सहयार - साहिहिं । मंजरीउ अवयंसिकिज्जहिं || पसरिय-गुरु- झंकार | पहियहं कुण िनिवार ॥
४७५ १. सूर. ४. क. सिंसु. ५. आयरण ७. क. कामिणिहिं निरीहु marginally corrected as कामिणिरमणहिं निरीहु. ४७७ ३. क. सुहयार. ७. क. परि.
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