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________________ १२० नेमिनाहचरिउ [४७४] तस्सु पुण सह-काल- संजाउ सह-पंसुक्की लियउ सह-संचिय-कित्ति भरु सम- सुह- दुहु सम-रूव- सिरि सम-जोव्वणु सम-सीलु । सम-हि-सज्जण विहिय - मुहु सम- परिसीलिय-लीलु ॥ सह-गद्दीय-गुण- रयण-मंडणू । समग-विद्दिय-पडिवक्ख-खंडण || [४७५ ] मूल-नरवइ-पय-समुद्धरण कालिदिय-देविहि तणउ जणिय-सुयण - आनंद-सुंदरु | सिसु भावि वि बुड्ढ समु पुत्र-पुरिस-आयरिण-मणहरु || वाल-वयं अहेसि पर- कामिणि-रमण-निरीहु । अवितह- रुविण नामिण वि पयड महिंदस्सीहु ॥ Jain Education International 2010_05 [४७६ ] विलसिर- वहल - लायण्ण तयणु संपुण्ण- जोव्वण- भरिण संतो सिय- सुहि-सयण पोढ नियंविणि-माण- गुरु फुरिय गरुय - पडिवक्ख-खंडण । दढ - पण दुज्जण - विहंडण ॥ तरुवर-दलण - कुढार । विलसहिं महिहिं महा-महिण दु-बि ति नरिंदकुमार ॥ तह ललंत संपत्तु वसंत- महु निरु - विहरिय- विरहिएहिं मलयानिल-संगमि भमर देसंतर-गमणुम्मणहं [४७७] काल - द- जोगेणं जहिं स-तोसु सहयार - साहिहिं । मंजरीउ अवयंसिकिज्जहिं || पसरिय-गुरु- झंकार | पहियहं कुण िनिवार ॥ ४७५ १. सूर. ४. क. सिंसु. ५. आयरण ७. क. कामिणिहिं निरीहु marginally corrected as कामिणिरमणहिं निरीहु. ४७७ ३. क. सुहयार. ७. क. परि. [ vr For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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