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नेमिनाहचरिउ
[४३४]
अह अणंगस्सीह-खयरिदि संतुट्टइ विम्हियइ खयर-कुमर-नियरम्मि तक्खणि । थुव्वंतइ मग्गणिहिं सूरतेय-नंदणि स-लक्खणि ॥ ओसप्पिर-गुरु-हरिस-वस- वियसिय-मुह-कंदुट्टि । परिकीलतइ खयर-जणि वद्धावणइ पयहि ॥
पत्त-अवसरु तियसु सु सुमित्तु पडिवत्ति वहु-विह करिवि सूरतेय-तणइण विसज्जिउ । निय-पुण्णिहिं अप्पण वि कित्ति-पसरु असरिमु समज्जिउ ॥ खयर-कुमारहं सयलहं वि मज्झि कयासम-लीहु । अगुजाणाविवि कह-वि खयरिंदु अणंगस्सीहु ।
[४३६]
पत्तु निय-पुरि चित्तगइ-कुमरु आणंदिय-सयण-मणु सहिउ रयणवइ-तरुणि-रयणिण । अह सल हिउ सुणिय-हुय- वइयरेण निय-जणणि-जणइण ॥ तह निय-लोयण-निज्जिणिय- तसिय-वाल-हरिणीहि । परिणाविउ सह वहु-विहिहिं विज्जाहर-तरुणीहि ॥
[४३७]
अह ललंतउ रयणवइ-पमुहनिय-दइयहिं सह सुइरु देंतु दाणु मग्गणहं स-हरिसु । कुव्वंतउ जिणवरहं तह गुरूण सम्माणु असरिसु ॥ संभासंतउ सुहि-सयण निय-गुण वित्थारंतु । तियसु व चिट्ठइ चित्तगइ गउ वि कालु अ-मुणंतु ॥ ४३६. ३. क. ख. रयणिवइ. ४. क. सलहिज्जत.
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