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________________ १०७ ४२५ ] तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु [४२२] अवि य अंतर-सत्तु-निद्दलणु पणमंत-तिहुयण-सरणु चरण-धरणिवइ-सेन्न-मंडणु । संसारिय-दुह-दलणु महि-ललंत-कुनय-मय-खंडणु ॥ तियसासुर-नर-नय-चलणु विहुरिय-विहिय-त्ताणु । अरिहंतहं निउरंतु मह लहु वियरउ कल्लाणु ॥ [४२३] सुइर-संचिय-कम्म-हुयवाहउवसामण-नीर-धरु भुवण-भवण-सिहरि-प्पइटिउ । निहाविय-असुह-मलु सासयम्मि ठाणम्मि संठिउ । सुद्ध-ज्झाण-हुयासणिण जालिय-भव-कंतारु । सिव-वहु-वल्लहु सिद्ध-मणु निहणउ मह संसारु ।। [४२४] चरिय-दस-विह-समण-आयारु गंभीरु उवएस-यरु बुद्धिमंतु जिण-मय-वियक्खणु। सिवु सोमु समुल्लसिय- दित्ति-कित्ति सु-पसत्थ-लक्खणु ॥ विहि-पडिवन्नु चरित्त-निहि देस-काल-भाव-ण्णु । भवि भवि मह आयरिय-निउरुंतु हवेज्ज सरण्णु ॥ [४२५] समय-जलनिहि-पार-संपत्त उवसंतु तेयब्भहिउ कित्तिमंतु मुणि-किरिय-रत्तउ । गीयत्थुवएस-रुइ विजिय-परिसु निरु स-गुरु-भत्तउ ॥ थिर-परिवाडि-विणीय-बहु- सीस-पडिच्छिय-आणु । मज्झ उवज्झायहं नियरु हवउ सरण्ण-पहाणु ॥ ४२४. ८-९. क निउरुंव. ख. निउरुब. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
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