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नेमिनाहचरिउ
1४०२
अवि य
सिद्ध जइ तुहुं पुचि पडिकण्हवलभद्द लच्छिप्पियहं चक्कवइहिं साहस-निहाणहं । अन्नेसि वि नमि-विनमि- अनिलवेग-पमुहहं पहाणहं ॥ धीरहं निय-भुव-बल-दलिय- भुवण-सुहड-गव्याहं । ता असि-रयण मह वि पसिय पेक्खंतहं खयराहं ॥
इय भणेविणु पंच-नवकारु सुमरेविणु भत्ति-भरु दूर-नट्ठ-पडिहार-सुर-गणु । उवगेण्हइ चित्तगइ खग्ग-रयणु सुर-सिहरि-थिर-मणु ॥ अह तियसासुर-किन्नरहं तरुणिहिं कुमरुवरिम्मि । कुसुम-बुट्टि मुक्किय खयर- गणि विम्हिय-हिययम्मि ।।
[४०४]
तयणु तक्खणि मंजु-सिंजंतभमरावलि-सामलिय उल्लसंत-परिमल कुमारह । पुन्यज्जिय-सरय-ससि- किरण-सरिस-निय-सुकय-सारह ॥ रयणवइहिं स-हरिसु खिविय गल-कंदलि वर-माल । सयमवि खयर-कुमर-खिविय- लोयण-कमल-वम्वाल ।
[४०५]
अह पयहउ जय-जयारावु सुर-दुंदुहि-रवु फुरिउ कुमर-कित्ति वित्थरिय दह-दिहि । अन्नोन्निण भणइ जणु अहह अहह अइ-निउणु एहु विहि ॥ दूराउ वि जं जसु तणउं तं तसु लहु मेलेइ । मिलिउ वलिट्ठ वि भुवण-जणु कि अन्नयरु करेइ ॥ ४०३. ७. क. तरुणिहि. १०५. ६. क. दूराओ. ४०७. ६. क. जंतिहि.
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