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नेमिनाहचरिउ
भणइ-घिसि घिसि तेहिं किं खयरेहि किं एत्तिय-मेत्तिए वि कज्जि एम्ब अप्पउं विगोविउ । निय-वंसु वि पर-भवणि गंतु विहलु नित्तुलु हसाविउ ॥ जं किमसज्झउं जगि भडहं दढ-साहस-रसियाहं । परितोलिय-निय-भुय-वलहं निम्मल-जस-तिसियाहं ॥
[३९५] ___ता सुणेविणु नूण एसेव नेमित्तिय-कहिउ नर- रयणु रयणवइ-कुमरि-पिययम् । विण्णत्तु इयरेहिं जह पुरिस-रयण जइ तुहुँ जि निरुवम् ॥ सत्तु फुराविवि गहिवि असि-रयणु कुमरि परिणेसि ॥ न उण जयम्मि विअस्थि इह सामथिम अन्नेसि ॥
. [३९६]
अह संयंवर-मंडवह समुहु संचल्लिउ चित्तगइ जाव ताव मुहि-बंधु-सयणिहिं । कर-पिहिय-स्सवणएहि भणिउ - हंत एयाहं वयणिहि ॥ किमसक्कारंभिण कुमर तुह उज्जमिण इमम्मि । खयर-कुमार-विगोयणिहि रयणवइहिं विसयम्मि ॥
॥
[३९७] जमिह सुर-गिरि सुहिण वाहाहिं तोलिज्जइ जल-निहि वि वाहु-पोय-जोएण तरिज्जइ । उप्पाडिवि करयलिण स-धरधर वि महि छत्तु किज्जा न उण महावल-सुर-गणिण रक्खिज्जंतु सु-तेउ । तीरइ घेत्तु करेहिं असि- रयणु सुरेहिं वि एउ । ३९३. २ क. आइट्ठहिं. ३९६. ९. क. रयणवएहिं.
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