SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 108
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३७७] तइयभवि चित्तगइवुत्तंतु [३७४] तह वि केसु वि खयर-कुमरेसु निय-विज्जा-मंत-वल- वसिण असिहि करु निक्खिवंतिसु । सिरि-मुम्मुर-वरिसु असि- वसिण पडिउ विरसं रसंतिम् ॥ तह जय-जण-विक्खोह-यर पयडीहुय वेयाल । गुरु-फुक्कारव-भरिय-गयण-यल भुयंग कराल । [३७५] इय समग्गि वि दुहं वि सेढीण खयराहिव-अंगरुह असिहि समुहु धाविर विगुत्तय चिंतंति विसन्न-मण अहह अम्हि किं इह पहुत्तय ॥ एस वि अम्हहं रयणवइ अयस-दाण-छउमेण । जाय अणंगस्सीह-घरि पुव्वज्जिय-अहमेण ॥ [३७६] इय विचिंतिर रयणवइ-विसयवियलंत-अणुराय-रस दूर-मुक्क-करवाल-गोयर । विच्छाइय-वयण निय- ठाणि ठंति सव्वे वि खेयर ॥ तयणु अणंगस्सीहु खयराहिवु चिंतावन्नु । भणिउ अमच्चिण- देव वरु कुमरिहि चिट्ठइ अन्नु ॥ [३७७] ___इय पसीउण सिद्ध-आययणि पेसिज्जहुँ के-वि निय-- खयर-कुमर-रज्ज-प्पहाणय । विज्जाहर-सामियहं सहहं विउस-भणियव्य-जाणय ॥ जिण जसु जायइ नहयलह कुसुम-वरिस-पब्भारु । आणहि ने मित्तिय-कहिउ कुमरु सु नहयर-सारु ॥ ३७७. ५. क. सहह. Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002609
Book TitleNeminahacariya Part 1
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
AuthorH C Bhayani, Madhusudan Modi
PublisherL D Indology Ahmedabad
Publication Year1970
Total Pages450
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy