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[३६२
नेमिनाहयरिउ
[३६२] तयणु गुरुयण-जणिय उवरोहपरतंत सुंदर-चरिय विहिय-पवर-सिंगार वालिय । कर-पल्लव-गहिय-निरु- सुरहि-गंध-सिय-कुसुम-मालिय ॥ असि-रयणह गुरुयण-विहिण पूय-विहेय-पयट्ट । भावि-हरिस-पन्भार-वस- वियसिय-मुह-कंदोह ॥
__ [३६३]
अह पयट्टइ जय-जयारावि चज्जतइ मंगलिय- तूरि वंदि-विंदिण पदंतिण । किज्जंतइ मंगलिय- कज्जि खयर-लोइण मिलंतिण ॥ कमिण सयंवर-मंडवह मज्झि असम-संचेसु। खयरिंदिण ते खयर-सुय उववेसिय मंचेसु ॥
[३६४]
तयणु नहयर-राय-वयणेण निय-रूविण विजिय-रइ पास-कुसुम-पडलि-यर-दासिय । करयल-किय-पंचविह- सुरहि-कुसुम-मालिय सुहासिय ॥ तिअसासुर-नरवर-तरुण- मण-मंथण-मंथाण । कमिण पहुत्तिय रयणवइ पुरउ खयर-कुमराण ॥
[३६५] अंव-धाइहिं भणिउ-अह एस गंधव्व-नयराहिवइ विहिय-सयल-पडिवक्ख-खंडणु। सारय-ससि-विमल-जसु भुवण-सुहय-गुण-रयण-मंडणु ॥ पवणवेग-खयराहिवइ- कुल-मंदिर-सिरि-केउ । दिष्टि-पसाइण कुमरु अणुगेण्हसु ससि-मुहि एउ ॥
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