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नेमिनाहचरिउ
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तयणु निम्मलवुद्धि-नामेण सचिविंदिण निय-पहुहु लद्ध एहु आएसु स-हरिसु । परिभाविधि निय-मणिण भणिउ पुरउ तस्सेब एरिसु ॥ काउ सयंवर-मंडवउ रयणवइहि पाउग्गु । सयलहं खयर-निवंगयहं देहु लेह जह-जोग्गु ॥
तह सयंवर-मंडवह मज्झि विणिवेसहु असि-रयणु कुमरि-करिहिं तसु पूय कारहु । लहु सिद्धाययणि पुणु के-वि पुरिस पच्चइय धारहु ॥ इय जइ कह-वि व नर-रयणु एइ इह वि सयमेव । ता सिज्झइ सामिहि सयल एहु कज्जु एमेव ॥
[३५६] __ अह समग्गु वि जुत्तु जुत्तु त्ति पडिवज्जिवि सायरिण लहु अणंगसीहिण खगिदिण । सदाविवि सयमवि ह निय-निउत्त-नहयर-सहस्सिण ॥ मेलाविवि भुवणब्भहिउ दल-विसेसु साणंदु । पत्थुय-कज्ज-विहाणि लहु आइहउ सचिबिंदु ॥
[३५७]
तयणु मरगय-रयणमय-पीढवर-फालिह-मणि-विहिय- भित्ति कणय-कय-सिचय-चडिउ । कक्केयण-थंभ-सउ पउमराय-मणि-खंड-मंडिउ ।। कय-उवरिम-तलु दिण-रयणि निहणिय-तम-सेणीहिं । अंक-पुलय-वेरुलिय-गुरु पुलउग्गार-मणीहि ॥
* For parts of stanzas 355, 356 and whole of 357, 354, 359,360, and 361 (except the last line) ख. leaves blank space.
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