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________________ ४५८ ऐतिहासिक जन काव्य संग्रह | सिज्झइ सलहियइ ३५,९६,३६८,३८६ प्रशंसा साम्हेले ३३८ सामेला नामक की जाती है • कृत्य, सामने सवट्ठसिद्धि २९ सर्वार्थसिद्ध । सावय १,२२० श्रावक सासण ८९ शासन (अनुत्तरविमानो) साहमीनी १५४ स्वधर्मी बन्थुकी सलूणंड़ा ३९३ सलोने साहम्मिय २३ स्वधार्मिक सवि २७७ सब साहिय ४ साधन किया सव्व ३० सर्व साहुणि ३० साध्वो सव्वरिय ३१ रातमें सिजवाला ६८ पालखी, पाहण ससहरु . ३५ शशधर, चंद्र विशेष सहलउ २३,३७० सुगम ३० सिद्ध होजाना सहसकूट २७४ हजार शिखर- सिझंत ३५ सिद्धांत, सिद्ध वाला मन्दिर होना सहसक्कर १५ सूर्य, १००० सिझाय ११३ वाध्याय किरणवाला सिरतिलौ ५८ सिरमौर सहिए ९८ ठीक, निश्चय, | सिरि ३२ सिरमें हे सखी | सिरीय ६ श्रीको (सं जम रूपी सहियर २९३ सखो सहुनडिया लक्ष्मीको) ४४ सब नष्ट हुए मिय १ शित, शुक्खः । साचवड १३३ सम्हालो | सिंधुया साचवी १०५ सिन्धुराग ४१६ सम्हाली सीखविय १३४ सिखाया साता ४११ कुशल सीझइ १७९ सिद्ध होता है साते ११७ सातों सीलि ३४ शील सानिध ३४० सान्निध्य सीस, सीसि २,१४५ शिष्य साबू . ३४८ साबुन सीह, सीहो १७६,३९७ सिंह सुइ ३६५ श्रुति सामाइक १६१ १८२, सामायिक सुकड ३३१ सुगन्धित द्रव्य सामि ३६९ स्वामी विशेष Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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