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________________ .... . कठिन-शब्द कोष वरतइ १६८ वर्तमान, चल वाणारिस १७ बनारिस, वाचक रही हो | वाणारी(स)४०१ वाचनाचार्य वरनोलइ १६५ बनोला घांदवा २६९ वंदना करनेको वरीय ६ वरकर, अडी- वांइस्यां ३०० वंदना करेंगे कार, स्वीकार ३७ वाद करनेवाला चलग्गि २९ अवलम्बनकर, वादाजात | वादीजीत २६६ वादियों को पकड़कर जोतनेवाला वलतु ३४९ प्रत्युत्तरमें, वान ९२,१६६,३५८४०६, शोभा लौटता हुआ वांदवा २६९ बंदना करनेको वलि १७६, ४१५ फिर, लौटकरवाया ३०० वंदना करेंगे वली २५७ फिर वारउपंग १८३ १२ उपांग वले ३०३ फिर (आगमसूत्र) वशाखि (षि)का ३६ वैशेषिक दर्शन | वालीने ४१० लाकर, वसहि ४५ वसती वाव १३० बोना वसीट्ठी १४१ दूर ! वावरह ३४० व्यय करना, वहिरमाण ३१९ विचरने वाले उपयोग करना महादिदेह क्षेत्र वावरियउ ३६७, ४१६ व्यय किया के तीर्थङ्कर वाविय ३३ वापी वहिरउ १८ बहरा हो गया वावं १५४ व्यय करूं वहिला ४१६ जल्दी वास १ आवाप, घर । वहुराव्यो २७२ वहराया,प्रदान विगुआणा २७९ बिगोये गये। किया वहुरिवा ११४ लेनेको,लानेको १ विनोंको वहन्ति विचरेवउ ३७१ चलता है? १६३ विहार करना, वाइ १६ वादी चलना विजावलीय ९ विद्याका समूह वाइक ३१० कथन योग्य! (प्रशंसात्मक विजा १,४०१ विद्या काव्य) विट ३८ भांड वाइमल्ल १४२ माम, वादियों । वित्तिकरु १५ वृत्तिकर्ता .. में मल्ल वित्थरि २७ विस्तारसे विग्यत्त Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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