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________________ मिठु मिस मुकीयो सुखदलि मुक्या मुगह मुनिंद मुणिवि सुनियग्य मुरंगी मुरमंडले मुंहपत्ति मुंछाला म मूं की मेरउ कठिन शब्द-कोष २७८ मीठा ३६६ मिश्र, युक्त २५९ छोड़ा २९ मोक्ष स्थल २८९ छोड़े ३७० कहता है मोह्यरेयाजी यशनामिक युगवर २, ३८५ मुनींद्र ३६७ कहकर ७ मुनिका पद ९१ मृदुअंगी - स्त्री ८ मरु मंडल ३३७ मुख वस्त्रिका ३४२ मूछोंवाला वीर ३९२ मुझे ४१६ छोड़कर १०४ मेरा ३९५ मिलकर मेलिय मेवड़ा ३२१,६३ दूत मोकलं ३२२ भेजूं मोटिम, मो टेम्म ८५, १८९ गौरव, मोरउ ९८ मेरा मोस मोहण लि -२६१ मृषा १०८ माहनेवालो बेल, मनोहर वेल ३०.२ मोह रहे हैं । थ २६४ यशस्वी १७९ युगमें प्रधान रज्ज रंज वियउ रं जया रच्वंति रणकार रतनागर taraली रमझोल रमिज्जइ रम्म रथणागरा रयणायर रयणाह रलिआतो र लिय रली रह रांक रांधइ र ४५३ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only ३५ राज्य ३६६ प्रसन्न किया ३६२ "" ३७७ राग करते हैं ३८८ बजता है ३३१ आवाज विशेष २८ रत्नाकर, शाह का नाम १८० रनोंकोअवली (समूह) १५५ हर्षोल्लास २४ रमण करना २४ रम्य ३२४ रत्नाकर ९ ग्नाकर २३ ग्ल १४७ आनन्द ३३, ३८८ उमंग ११६, ४१२ उमंग, इच्छा, हर्ष रलियावणिय ३०७ सुन्दर, मनोह रलियामणउ ३,३३२, ३३६ सुन्दर, रमणीय ६७, ३९५ रथ २७१ गरीब ३४३ गंधना, पकाना www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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