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ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह
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|| जगमा समाजिनराया।देशी।विकाशवति प्रवि न्याश्री श्रिवण्यसुविलाश्रारे जगजीवनाजिल राया तोरान्नरामिणारे जगजी र उज्वला युपांम्पातूनुमो मुण्टकेमनमोहरे जगुती जगकोतजापरे जग २. उपअमच्या रितिकोठनिक शेरे जगह सवामणी कृतिनो को दनिकंदौरे जग ३ समताक्षरात्रमवारी मनल जयजयकारीर जगः क्रमवारीमधारी तिकारीऽण्टागर जग६४ प्रतीत नागतिग्पाता मोपविष्णनारे जगह प्रतिदतिमुश विवादेरेज विजगत्रानाजग जाता ज्ञानादिकयुगणनादातारे जः वनभारेनीव दीयेधनीय गुणाधारक खुजगीरे जग ६ वा
नंदनवरदाई उमधुनिजरमुखमारे जगजी झोन मारक है व्यापदे जिनदेवरनंदेरे जंगल ३०७ इतिश्रीपार्श्वजिन लिपीकृतंज्ञान रेसा सूरतिविंदरम ॥ ॥ श्ररक्क द
मस्तयोगी ज्ञानसारजी - हस्तलिपि
( मूल पत्र हमारे संग्रह में )
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