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श्री गुणप्रभसूरि प्रबन्ध
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द्वितीय विभागकी अनुपूर्ति।
श्री गुणप्रभ सूरि प्रबन्ध
दुहा :___ मनधरि सरस्वती स्वामिनी, प्रणमी 'गोयम' पाय ।
गुण गाइस सहगुरु तणा, चरिय 'प्रबन्ध' उपाय ॥१॥ 'वीर' जिनेसर शासने, पंचम गणि 'सोहम्म' ।
'जंबू' अन्तिम केवली, तास पाटे अतिरम्म ॥२॥ तिण अनुक्रमे उद्योतकर, 'श्री उद्योतन सूरि'।
'वर्धमान' वधते गुणे, वन्दो आणंद पूरि ॥३॥ ढाल फागनी :'जिनेश्वर' 'जिनचन्द्र' गुणागर, 'अभय' मुणीन्द ।
'जिनवल्भ' 'जिनदत्त', युगोत्तम नमे नरीन्द ॥ 'श्री जिनचन्द्र' 'जिनपत्ति', 'जिनेसर' संभारि, ___'जिनप्रबोध' 'जिनचन्द्र'"कुशल गुरु', हिव सुखकार ॥४॥ श्री जिनपदम' विशारद, सारद करे वखाणि ।
'श्री जिन लब्धि' लब्धि गौतम सम, अमृतवाणि ॥ 'श्री जिनचन्द्र' 'जिनेसर', 'जिनशेखर' 'जिनधर्म'। . 'श्री जिनचन्द्र' गणाधिप, प्रगटित आगम मर्म ॥५॥ 'श्री जिनमेरु' सूरीश्वर, सागर जेम गंभीर।
संवत पनर बिडतरे, देवगति हुऔ धीर ॥६॥
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