SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 447
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६४ wrrrrrrrrrrrrror ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह * कवियण कृत * देव विलास। (देवचंद्रजी महाराजनो रास) सुकृत प्रेमराजी वने,-प्रोल्लासन चिहंस ; ते तेम रि(हृ?)दये अक्षता, 'आदिनाथ अवतंस ॥ १ ॥ 'कुरु' देशें करुणानिधि, उत्पन्न 'श्रीजिनशान्ति', शांति थइ सवि जनपदे, कार्तस्वर जस कान्ति ॥ २ ॥ ब्रह्मचारोचूडामणि, योगीश्वरमें चंद , तारक राजुलनारिनो, प्रणमु 'नेमिजिणंद' ॥ ३ ॥ यशनामिक कृत्य ताहरु, पुरीसादाणी बिरुद्द, वामाकुल वडभागीयो, 'पारसनाथ' मरद ॥ ४ ॥ जिनशासननो भूपति, 'वर्द्धमान' जिनभाण, ___ दूषम पंचम आरके, सकल प्रवर्ते आण ॥ ५ ॥ पंच परमेष्ठि जिनवरा, प्रणमु हुं त्रिणकाल, अन्य एकोनविंशति जिना, तस प्रणमं सुविशाल ॥ ६ ॥ सरसती व(र)सती मुखकजे, 'माघ' कविने साध्य, 'कालिदास' मूरख प्रते, कीयो कवि कीधा पद्य ॥ ७ ॥ 'मल्लवादी' तुज सांनिधे, जीत्या बौद्ध अनेक, तुज दरिसणे पद लब्धिनी, उत्पन्न थइ विवेक ।। ८ ॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy