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ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह
वसु युग रस शशि बच्छरइ ए, जेठ वदि तेरस जांणि सका
शांति जिनेसर सानिधइ ए, रास चड़िउ परमाणि ॥३४॥स०॥ आग्रह अति श्री संघ नइ ए, अहमदाबाद मंझारि ।स।
रास रच्यो रलियामणउ ए, भवियण जण सुखकार ॥३५।।स०॥ पढ़इ गु(सु)णइ गुरु गुण रसी ए, पूजइ तास जगीस ।स।
__ कर जोड़ी कवियण कहइ, विमल रंग मुनि सीस ॥३६॥स०॥
इति श्री युगप्रधान जिनचन्द्र सूरीश्वर रास समाप्ता मिति । लिखितं लब्धिकल्लोल मुनिभिः श्री स्तम्भ तीर्थे, पं० लक्ष्मीप्रमोद मुनि वाच्यमानं चिरं नंद्यात् यावञ्चन्द्र दिवाकरौ। श्रीरस्तु ।
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