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___ ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह वंदो वउलावी वलइ, हरखइ संघ रसाल । ____भाग्यबली जिणचंद गुरु, जाणइ बाल गोपाल ॥५२।। तेरसि पूज्य पधारिया, अमदाबाद मंझार ।
पइसारउ करि जस लीयउ, संघ मल्यो सुविचार ॥५३॥ हिव चउमासो आवियर, किम हुइ साधु विहार ।
गुरु आलोचइ संघ सुं, नावइ बात विचार ॥५४॥. तिण अवसरि फुरमाणि वलि, आव्या दोय अपार । ___घणुं २ मुहतइ लिख्यो, मत लावउ तिहां वार ॥५५।।. वर्षा कारण मत गिणउ, लोक तणउ अपवाद ।
निश्चय वहिला आवज्यो, जिम थाइ जसवाद ॥५६।। गुरु कारण जांणी करी, होस्यइ लाभ असंख ।
संघ कहइ हिव जायवउ, कोय करउ मत कंख ॥५७।।
ढालःगौड़ी (निंबीयानी) (आंकडी) परम सोभागी सहगुरु वंदियइ, श्रीजिनचंद सूरिन्दो जी।
मान दीयइ जस अकबर भूपति, चरण नमइ नरवृन्दो जी ॥५८॥ संघ वंदावी गुरुजी पांगुरया, आया म्हेसाणे गामो जी।
सिधपुर पहुंता खरतर गच्छ घणी, साह वनो तिण ठामो जी ॥ गुरु आडंबर पइसारो कियउ, खरचिउ गरथ अपारो जी। ___ संघ पाटण नउ वेगि पधारियउ, गुरुवंदन अधिकारी जी ॥५६॥ पुज्य पाल्हण पुरि पहुंता शुभ दिनइ, संघ सकल उच्छाहो जी। , संघ पाटण नउ गुरु वांदी वलिउ, लाहिण करिल्यइ लाहो जी ॥६॥
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