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________________ ३२ ऐतिहा सक जैन काव्य संग्रह कहस नीर सुरसरीय कहस वाहलोय पवित्तिय । पदमराग कह गुरुय कहस परिय रंगिय ।। जिणपदम सूरि पटु पटुधर, अमिय वाणि देसण वरिस । तुडि कर सुजीह किनगलि पडिसि, जिनलब्ध सूरि गणहरसरसु॥२७॥ एने बेरि खजूरि जतइ सिरिविडि करि भखिय । एन अंब अम्बलिय दख दाडिम जं चखिय । एन जंब जंबूयह सयल पिप्पल जं असियह । ___ बडआरू य उबरन एय एय पसर जबसिय ।। पउमप्पह नारिंग नह सु नयनिमल कोमल महूय । जिणपत्ति सूरि नालियर इह, अररि कोर वंच भंजेय तुय ।।२८।। जिम नसि सोहइ चंद जेम कजलु तरुलछहि । हंस जेम सुरवरहि पुरिस सोहइ जिम लछिहि । कंच' जिम हीरेहि जेम कुल सोहइ पुत्तहि । रमणि जेम भत्तार राउ सोहइ सामंतइ । सुर नाह जेम सोहइ सुरह, जगि सोहइ जिणधम्म भरु । आयरिय मझि सिंहासणहि, तिम सोहइ जिणचन्द गुरु ॥२६॥ दसणभद्द नरनाह वीर आगमि आणंदिय । पभणइ वंदिसु तेम जेम केणावि न वंदिय । रह सजिय गय गुडिय तुरिय पवरिय पलाणिय ।। सुखासण सय पंच वडवि चल्ल धितिहि राणिय ।। बहु छत्त चमर परवारि सउं, जाम सपत्त समोसरणि । ताम इंद तसु मणु मणवि, अयरावइ आदसइ मणि ॥३०॥ Jain Education International 2010_05 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002600
Book TitleAetihasik Jain Kavya Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherShankardas Shubhairaj Nahta Calcutta
Publication Year
Total Pages700
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size10 MB
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