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ऐतिहासिक जैन काव्य संग्रह . रहवीं शताब्दीके सुप्रसिद्ध कवि थे। आपने मंद-बुद्धियोंके लाभार्थ शत्रुजय-महात्म्य जैसे अनेकों विशाल ग्रंथोंकी भाषा चौपाइ रचकर बहुत उपगार किया । आप साध्वाचार पालनेमें सदा उद्यम करते रहते थे, और आपके व्रत नियम अन्तिम अवस्था तक खड़ित थे। आपके अनेकानेक सद्गुणोंमें १ गच्छममत्वका त्याग (जिसके उदाहरण स्वरूप सत्यविजय पन्यास रास प्रकाशित ही है)२ जन समुदाय अनुवृत्तिका त्याग ३ ऋजुता ४ राग द्वेषका उपशम आदि मुख्य है। आप रास चौपाई आदि भाषा काव्योंके निर्माण करनेमें अप्रमत्त रह, ज्ञानका बड़ा विस्तार करते रहते थे। ___ आपके गच्छममत्व परित्यागके सदगुणसे तपागच्छीय वृद्धिविजयजीने आपके व्याधि उत्पन्न होनेके समयसे बड़ी सेवा-भक्ति
और वैयावच्चकी थी और अन्तिम आराधना भी उन्होंने ही कराइ थी। पाटणमें आप बहुत वर्षों तक रहे थे, आपका स्वर्गवास भी वहीं हुआ, श्रावकोंने अंत-क्रिया ( मांडवी रचनादि) बड़ी भक्तिसे की। आपके विशाल कृतियों नोंध जै० गु० क० भा० २ में देखनी चाहिये । उसके अतिरिक्त और भी कइ रास आदि हमें उपलब्ध हैं, उनमें मुख्य ये हैं:-१ मृगापुत्रचौ०(१५१५ मा०व० १० सत्यपुर) (२) कुसम श्री रास (१७१७ मि० १३) (३) यशोधर रास (१५४७ वै० सु० ८ पाटण) (४) कनकावती रास (अपूर्ण) ५ श्रीमतीरास ( १७६१ :मा० सु० १० पाटण, ढाल १४, रामलालजी यतिका संग्रह ) और स्तवन सज्ञायादि अनेक उपलब्ध है।
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