________________
परमाणुवाद
(४) परमाणु परमाणु में श्राकार, लम्बाई, चौड़ाई और वज़न को लेकर पृथक्ता होती है ।
(५) परमाणुत्रों के प्रकार संख्यात हैं । पर हर एक प्रकार के परमाणु अनन्त हैं ।
૪૭
(६) पदार्थों के गुग्गा परमाणुयों के स्वभाव, संविधान अर्थात् कौन से परमाणु किस प्रकार से संयुक्त हुए हैं पर निर्भर हैं ।
(७) परमाणु निरन्तर गतिशील हैं ।
डेमोक्रेटस से लेकर ईसा की १६वीं सदी तक परमाणु के नाना श्रन्वेषण होते रहे और नये नये तथ्य सामने आते रहे । पर अब तक वह परमाणु वैज्ञानिकों की दृष्टि में प्रच्छेद्य, अभेद्य व सूक्ष्मतम ही बना रहा ।
परमाणु की
सूक्ष्मता
विज्ञान का परमाणु कितना सूक्ष्म है ? इसका अनुमान इस बात से लग सकता है कि पचास शंख परमाणुयों का भार केवल ढाई तोले के लगभग होता है । इसका व्यास एक इंच का दस करोड़वाँ हिस्सा है ।
सिगरेट लपेटने के पतले कागज अथवा पतंगी कागज की मुटाई में एक से एक को सटाकर रखने पर एक लाख परमाणु श्रा जायेंगे ।
धूलि के एक छोटे से करण में दश पदम से अधिक परमाणु होते हैं ।
सोडावाटर को गिलास में डालने पर जो छोटी छोटी बूँदें निकलती हैं उनमें से एक के परमाणुओंों को गिनने के लिए संसार के तीन अरब व्यक्तियों को बिठा दिया जाए और बिना खाये, पीये, सोये लगातार प्रति मिनट तीन सो को चाल से गिनते जायें तो उस नन्हीं बूंद के परमाणुत्रों की समस्त संख्या को समाप्त करने में चार महीने लग जायेंगे ।
पतले केश को उखाड़ते समय उसकी जड़ पर जो रुधिर की सूक्ष्म बूंद लगी रहेगी उसे अणुवोक्षण की ताकत को इतना बढ़ा कर देखा जाए कि बूँद छत्र या सात फीट व्यास की दीख पड़े तो भी उसके भीतर के परमाणु का व्यास इंचही हो
- सकेगा ।
पाँच भूतों से २ तत्त्वों की प्रोर
घड़ा मिट्टी से बनता है । पिण्ड घड़ा, ठिकरा किसी भी रूप में हो, किन्तु मिट्टी उसमें अवश्य विद्यमान रहती है । आकार बदलने पर भी जो पदार्थ उन सभी आकृतियों में मौजूद रहता है वह उपादान कारण (Material cause) कहलाता है । यह रूपमान जगत् जिसमें असंख्य प्रकार के पार्थिव पदार्थ भरे पड़े हैं उन पदार्थों का
Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org