________________
जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान वाद के रूप में निखरा । इससे मनुष्य को प्रात्म-साक्षात, कैवल्य व धति, क्षमा, सन्तोष, अहिंसा, सत्य आदि मिले । विज्ञान का विकास प्राधिभौतिक ही रहा। इससे मनुष्य को दुर्लभ भौतिक सामर्थ्य मिले । भौतिक सामर्थ्य के अभाव में मनुष्य जी सकता है, वह भी अानन्द से, पर आध्यात्मिक व नैतिक सामर्थ्य के बिना भौतिक साधनों के ढेर में दब मरने के सिवाय मनुष्य के पास कोई चारा नहीं रह जाता।
Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org