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वर्शन और विमान समझने की भूमिका बनाता जाता है । वैज्ञानिक जगत में ये शब्द आज चारों और गूंजने लगे हैं
__ "हम लोग हमारे अज्ञान का फैलाव कितना बड़ा है, यह और अच्छी तरह से समझने और महसूस करने लगे हैं।"
सर जेम्सजीन्स लिखते हैं-"शायद यह अच्छा हो कि विज्ञापन नित नई घोषणा करना छोड़ दे, क्योंकि ज्ञान की नदी बहुत बार अपने आदि-श्रोत की ओर बह चुकी है।"
एक दूसरी जगह वे लिखते हैं---"बीसवीं सदी का महान आविष्कार सापेक्षवाद या क्वन्तम् सिद्धान्त नहीं है और न परमाणु विभाजन ही। इस सदी का महान आविष्कार तो यह है कि वस्तुएं वैसी नहीं हैं जैसी कि वे दीखती हैं। इसके साथ सर्वमान्य बात तो यह है, हम अब तक परम वास्तविकता के पास नहीं पहुंचे हैं।"
__इस प्रकार हम सहज ही इस निर्णय पर पहुँच जाते हैं कि विज्ञान ने दर्शन के साथ बगावत कर परम सत्य तक पहुँचने का जो एक स्वतन्त्र मार्ग निकाला था वह भी इतना सीधा नहीं निकला जितना कि समझा गया था । फिर भी हमें समझ लेना चाहिए कि दर्शन और विज्ञान में संघर्ष से कहीं अधिक समन्वय है । दर्शन के पीछे जैसी एक बहुत लम्बी ज्ञान परम्परा है विज्ञान में सत्य-ग्रहण की एक उत्कट लालसा है। जो असत्य लगा उसे पकड़े रहने का आग्रह वैज्ञानिकों ने कभी नहीं किया । दर्शन ने जैसे आगे चलकर अनेक पथ बनाये—यह 'वैदिक दर्शन', यह 'बौद्ध दर्शन', यह 'जैन दर्शन' आदि, इस प्रकार विज्ञान के क्षेत्र में अब तक विभिन्न मार्गों का उदय नहीं हुआ । सभी वैज्ञानिक आज नहीं तो कल एक ही मार्ग पर आ जाते हैं । जीवन में उपयोगिता की दृष्टि से भी दर्शन और विज्ञान दोनों का स्वतन्त्र महत्त्व है । दोनों · ही सत्य की मञ्जिल पर पहुँचने के मार्ग हैं परन्तु दर्शन का विकास मुख्यतया प्रात्म
1. "We are beginning to appreciate better, and more thoroughly, how great is the range of our ignorance."
-Ibid, p. 60. 2. Science should leave off making pronouncement, the river of knowledge has too often turned back on itself.
--The Mysterious Universe, p. 138. 3. The outstanding achievement of twentieth century physics is not the theory of relativity with its wielding together of space and time, or the theory of quantum with its present apparent negation of the laws of causation, or the dissection of the atom with the resultant discovery that things are not what they seem. It is the general recognition that we are not yet in contact with ultimate reality.
-The Mysterious Universe, p. 3.
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