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(४) श्रीदशवैकालिकनियुक्तिः ]
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आयपरसरीरगया इहलोए चेव तहय परलोए । एसा चउम्विहा खलु कहा उ संवेयरणी होइ ॥ ९९ ॥ वीरियविउध्वणिड्डी नाणचरणदंसणाण तह इड्डी ।
उदइस्पाइ खलु जहियं कहाइ संवेयणीइ रसो ॥ २०० ॥ 5 पावाणं कम्माणं असुभविवागो कहिज्जए जत्थ ।
इह य परत्थ य लोए कहा उणिवेयणी नाम ॥२०१।। थोपि पमायकयं कम्मं साहिज्जई जहि नियमा। पउरासुहपरिणामं कहाइ निवेयणीइ रसो ॥२०२ ।।
सिद्धी य देवलोगो सुकुलुप्पत्ती य होइ संवेगो। 10 नरगो तिरिक्खजोणो कुमाणुसत्तं च निम्वेनो । २०३ ।।
वेणइयस्स [य] पढमया कहा उ अक्खेवणी कहेयव्वा । तो ससमयगहियत्थो कहिज्ज विक्खेवणी पच्छा ।। २०४ ।। अक्खेवणीप्रक्खित्ता जे जीवा ते लमन्ति संमत्तं ।
विक्खेवणीऍ भज्जं गाढतरागं च मिच्छत्तं ।। २०५ ।। 15 धम्मो अत्थो कामो उवइस्सइ जत्थ सुत्तकव्वेसुं ।
लोगे वेए समये सा उ कहा मीसिया णाम ।। २०६ ॥ इथिकहा भत्तकहा रायकहा चोरजणवयकहा य । नडनट्टजल्लमुट्ठियकहा उ एसा भवे विकहा ॥ २०७।।
एया चेव कहाओ पन्नवगपरूवगं समासज्ज । 20 अकहा कहा य विकहा हविज्ज पुरिसंतरं पप्प ॥ २०८ ।।
मिच्छत्तं वेयन्तो जं अन्नाणी कहं परिकहेइ । लिंगत्थो व गिही वा सा अकहा देसिया समए ॥ २०६ ।।
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