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[ नियुक्तिसंग्रहः :: (४) श्रीदशवैकालिकनियुक्तिः
अत्थकहा कामकहा घम्मकहा चेव मीसिया य कहा । एत्तो एक्केक्कावि य णेगविहा होइ नायव्वा ।। ८८ ।। विज्जासिप्पमुवानो अणिवेओ संचओ य दक्खत्तं ।
सामं दंडो मेरो उथप्पयाणं च अत्थकहा ।। ८६ ।। 5 सस्थाहसुओ दक्खत्तणेण सेट्ठीसुप्रो य रूवेणं ।
बुद्धीएँ अमच्चसुओ जीवइ पुग्नहि रायसुप्रो ॥ १९० ।। दक्खत्तणयं पुरिसस्स पंचगं सएगमाहु सुंदेरं । बुद्धी पुरण साहस्सा सयसाहस्साई पुन्नाइं ॥ ९१ ।।
रूवं वओ य वेसो दक्खत्तं सिक्खियं च विसएसुं। 10 दिटु सुयमणुभूयं च संथवो चेव कामकहा ।। ६२ ।।
धम्मकहा बोद्धव्वा चउम्विहा धीरपुरिसपन्नत्ता । अक्खेवणि विक्खेवरिण संवेगे चेव निम्वेए ।। ६३ ।। प्रायारे ववहारे पन्नत्ती चेव दिट्ठीवाए य। एसा चउस्विहा खलु कहा उ अक्खेवणी होइ ॥ ९४ ।। विज्जा चरणं च तवो पुरिसक्कारो य समिइगुत्तीप्रो । उवइस्सइ खलु जहियं कहाइ प्रक्खेवणीइ रसो ।। ६५ ।। कहिऊण ससमयं तो कहेइ परसमयमह विवच्चासा । मिच्छासम्मावाए एमेव हवंति दो भेया ॥ ९६ ।।
जा ससमयवज्जा खलु होइ कहा लोगवेयसंजुत्ता । 20 परसमयाणं च कहा एसा विक्खेवणी नाम ।। ९७ ॥
जा ससमएण पुचि प्रक्खाया तं छुभेज्ज परसमए । परसासणवक्खेवा परस्स समयं परिकहेइ ॥६८।।
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