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________________ [ नियुक्तिसंग्रहः :: (१) आवश्यक नियुक्तिः मा मे चलउत्ति तणू जहं तं झाणं निरेपणो होइ । अजयाभास विवज्जस्स बाइअं झाणमेवं तु ॥ १४६० ।। एवं विहा गिरा मे वत्तव्वा एरिसा न वत्तव्वा । इय वेयालियवक्कस्स भासओ वाइयं झाणं ।। ६१ ॥ 5 मणसा वावारंतो कायं वायं च तप्परीणामो। भंगिनसुयं गुणतो वट्टइ तिविहेवि सामि ॥ २ ॥ धम्म सुक्कं च दुवे झायइ झाणाइ जो ठिो संतो। एसो काउस्सग्गो उसि उसिओ होइ नायवो ।। ९३ ।। धम्म सक्कं दुवे नवि झायइ नवि य अदृरुदाई। 10 एसो काउस्सग्गो दवसिओ होइ नायव्वो ॥ ९४ ।। पपलायंत सुसत्तो नेव सुहं झाइ झाणमसुहं वा । अश्वावारियचित्तो जागरमाणोवि एमेव ।। ९५ ।। अचिरोववनगाणं मुच्छियप्रवत्तमत्तसुताणं । । ओहाडियमव्वत्तं च होइ पाएण चित्रांति ॥६६ ।। 15 गाढालंबणलग्गं चित्तं वृत्तं निरयणं झाणं । सेसं न होइ झाणं मउअमवत्तं भमंतं वा ॥९७ ।। उम्हासेसोऽवि सिही होउं लद्धिधणो पुणो जलइ। इय प्रवत्तं चित्तं होउं वत्तं पुणो होइ ॥ ९८ ।। पुव्वं च जं तदुत्तं चित्तस्सेगग्गया हवइ झाणं । 20 प्रावन्नमणेगग्गं चित्तं चिय तं न तं झाणं ।। ६६ ।। मणसहिएण उ काएण कुणइ वायाइ भासई जं च ।। एयं च भावकरणं मणरहियं दत्वकरणं च ।। १५०० ॥ Jain Education International 2010_04 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002598
Book TitleNiryukti Sangraha
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1989
Total Pages624
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Spiritual
File Size19 MB
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