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सिरिपउमप्पहसामिचरियं अज्जा संसग्गेणं अहिज्जए धम्मसत्थाणि ।। ५६० ।। कालेण कम्मपयडी पमुहे सत्थम्मि सुत्त-अत्थेहिं ।। सा चेव उदाहरणं जाया सविवेयलोयाणं ॥ ५६१ ॥ तिस्सा संसग्गेण, सिट्ठी सुविसिट्ठसावओ जाओ। तीए समप्पियकुसुमो, तिक्कालं पूयए बिंबं ॥ ५६२ ॥ घरकज्जे ववहारेसु, धम्मकज्जम्मि रायकज्जम्मि ।। पिउणा पुच्छिज्जंती, पमाणमेसा तहिं जाया ॥ ५६३ ॥ विनविऊणं सिद्धिं, सुदूरदेसंतराउ वरतुरए ।। खुंगाहे वोल्लाहे सेराहे कोंकनाहे या ॥ ५६४ ।। कंबोज-तेज-पारस-पाराकरपमुहविविहदेसभवे ॥ सोमाललोमफरिसे, आणावइ पवणमणवेगे ॥ ५६५ ।। पुरपरिसरसरतीरे, जलनिहिकल्लोललोलसरलंगा। दीसंति ते तुरंगा सहजणनयणेहि रंगंता ॥ ५६६ ॥ समयंतरे किसोरा, अतुल्लमुल्लेण मग्गिया रन्ना ॥ कहमवि न चेव अप्पइ, निय धूया वारिओ सेट्ठी ।। ५६७ ॥ अह वडवागब्भदिणे, उवरोहवसेण जाइया तुरिया ।। दुहिया संकेएणं, समप्पिया ते वि नरवइणो ॥ ५६८ ॥ एवं कइवय वरिसे सेट्टितुरंगा गहाविया रना ।। इय तस्स पंच वरिसा, वकंता गिण्हमाणस्स ।। ५६९ ॥ सा चंदलेहकन्ना, जणयं पभणेइ ताय ! रायकुले ।। मह तुरएहिं जाया, जे तुरिया गिण्ह ते सव्वे ॥ ५७० ॥ जइया राया तुमयं, धरेज्ज गाढं भणेज्ज तं तइया ।। मह धूया परमत्थं, जाणइ नाहं न वा अन्नो ।। ५७१ ।। तत्तो निय तुरयभवा, तुरंगमा रायपुरिसकरसहिया ।। जा पत्ता सरितीरे, संगहिया सेट्ठिणा ताव ॥ ५७२ ॥ सेट्ठिपरिवारतासियनरवर-परिवारकोविओ राया ।।
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