________________
संखकुमारकहा
पत्तो पच्छा तिस्सा, हासो नयरम्मि संजाओ ॥ ३८ ॥ अह नरवरपरिसाए, अवरा बहूकवडनाडयगरिट्ठा || नामेण कामसेणा, कुणइ पइन्नं तहिं वेसा ॥ ३९॥ जाए संज्झा - समए, धुत्तो गंतूण बुद्धसालाए । जंपर हंहो दारं उघाडह लेह नियपोत्थं ॥ ४० ॥ वाहिं चि विम्हरियं, तुम्ह पडताण भणह मा कहियं ॥ तुट्ठा वयंति नरं, मुसियं केणावि धुत्तेण ॥ ४१ ॥ तत्तो न चेव दारं, उग्घाडेमो इमो वि जंपेइ || मा उग्घाडह दारं गिण्हह एयं तु नियपोत्थं ॥ ४२ ॥ बुद्धे बहिं विहिए हत्थे छिंदित्तु तं महाधुत्तो ॥ गिण्हिय वच्चइ न किमवि कवडाणमगोयरे नूणं ॥ ४३ ॥ तं हत्थं निय हत्थे, बंधित्ता वयइ कामसेणाए || हम्म इमोसा विधुत्ती जाणेइ तं धुत्तं ॥ ४४ ॥ अह सुरयसमत्तीए, धुत्तो पभणेइ भवणवाहम्मि || आयमणकए अहयं, वच्चेमि तओ इमा वयइ ।। ४५ ।। इह चेव आयमिज्जसु सो जंपइ मज्झ किं न वीसससि ? ॥ जइ एवं तो एयं, मह हत्थं गिण्हसु मयच्छि ! ॥ ४६ ॥ अप्पित्तु कामसेणा हत्थे तं चेव छिंदियं हत्थं ॥ आयमइ वित्थरेणं, वर धुत्तो सोयवाई सो ॥ ४७ ॥ ओणमियमुहं काउं, करवत्तिं कामसेण हत्थम्मि ॥ परिहरिय तयं हत्थं, धुत्तो निग्गच्छए सहसा ॥ ४८ ॥ जाए पायसमए, एसा गच्छइ नरिंदपरिसाए । जंपइ नरिंद ! एसो, धुत्तकरो आणिओ एत्थ ॥ ४९ ॥ सो चेव य नायव्वो धुत्त जस्सत्थि छिंदिओ हत्थो ॥ अह सो सहसा बुद्धो, पुक्करमाणो तहिं पत्तो ॥ ५० ॥ सो जंपइ भो रायं केण वि धुत्तेण एस मज्झ करो ॥
Jain Education International 2010_04
For Private & Personal Use Only
३९१
www.jainelibrary.org